नारी की दुर्दशा सहेज कर, मंगलसूत्र का प्राण लिखा। नारी की दुर्दशा सहेज कर, मंगलसूत्र का प्राण लिखा।
अब यह दिन न आये अब यह दिन न आये
निभाता हूँ दिल से हर रिश्ता, तभी तो जल्दी अपनों का बन जाता हूँ। निभाता हूँ दिल से हर रिश्ता, तभी तो जल्दी अपनों का बन जाता हूँ।
विद्यार्थीयों और शिक्षकों के अलावा न करे, कोई दखल अंदाजी विद्यार्थीयों और शिक्षकों के अलावा न करे, कोई दखल अंदाजी
महात्माओं को जहाँ गोली मारी जाए, गुनहगारों की जहाँ जी-हुज़ूरी हो जाए, महात्माओं को जहाँ गोली मारी जाए, गुनहगारों की जहाँ जी-हुज़ूरी हो जाए,
दुख के क्षण, और आनंद है भी और नहीं भी। दुख के क्षण, और आनंद है भी और नहीं भी।